कटिहार: जिले के फलका प्रखंड के किसान यूं तो केला और मक्का खेती के लिए जाने जाते हैं। केला में पनामा बिल्ट नामक गलवा रोग के कारण केला की खेती से विमुख हो रहे हैं। किसान इन दिनों मक्का के साथ-साथ आलू और हरी मिर्च व ओल की खेती कर रहे हैं। स्वाद में तीखी पर यहां के किसानों के जीवन में हरी मिर्च आर्थिक रूप से मिठास घोलने का काम कर रही है। हरी मिर्च की खेती यहां के किसानों को आर्थिक रूप से सबल बना रही है। यहां की मिर्च पटना, रांची, दिल्ली सहित दूसरे प्रदेशों में भेजी जाती है।
परंपरागत खेती के साथ किसान अब हरी मिर्च की खेती कर रहे हैं। आधुनिक तरीके से मिर्च की खेती कर किसान प्रति एकड़ 16 टन की उपज होती है। 40 रुपये से लेकर 80 रुपये प्रति किलो की दर तक का भाव किसानों को मिलता है। वहीं सालेहपुर पंचायत अंतर्गत महेशपुर गांव के युवा किसान मो. अब्बू व मो. आसिफ इकबाल पांच एकड़ में मिर्च की खेती कर रहे हैं। खेत में रोज 50 से 60 ग्रामीणों को मिर्च तोड़ने का काम मिल जाता है। एक किलो मिर्च की तुड़ाई के एवज में सात रुपये खेतिहर मजदूर को मिलता है।एक मजदूर 20 से 22 किलो मिर्च एक दिन में तोड़ते हैं।
मिर्च की खेती से हो रही दोगुनी आमदनी
फलका प्रखंड के पिरमोकाम के जनकपुर मोरसंडा, सोहथा दक्षिण,उत्तर, गोविन्दपुर, हथवाड़ा, भरसिया, भंगहा, सालेहपुर, भरसिया, शब्दा पंचायतों में किसान बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती कर अपनी आमदनी दुगना कर रहे हैं। मिर्च की खेती कर रहे महेशपुर गांव के किसान कमर जमाल हासमी उर्फ अब्बू कहते हैं कि पिछले वर्ष साढ़े तीन बीघा में मिर्च की खेती की है। 30 से 40 हजार की लागत प्रति बीघा तक आती है। अब तक 2.30 लाख तक की आमदनी हुई है। लक्ष्मी एवं 5424 मिर्च के किस्म की रोपाई इस क्षेत्र में अधिक होती है।
फलका के बंटू शर्मा कहते हैं कि प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में अब परंपरागत खेती के अतिरिक्त किसान नकदी फसल की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। केला में पनामा बिल्ट नामक बीमारी के कारण केला खेती का रकबा घटना है।
व्यापारी राजेश कुमार गुप्ता उर्फ घोलटू ने बताया कि इस इलाके से 300 से 400 बैग प्रति दिन मिर्च पटना, नवादा और सिलीगुड़ी जैसे शहरों को भेजा जाता है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, फलका में पांच साल पहले 20 से 25 एकड़ में ही मिर्च की खेती होती थी। वर्तमान में 150 एकड़ से अधिक में मिर्च की खेती हो रही है।
क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी
प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि अन्य परंपरागत खेती के साथ किसानों का झुकाव सहफसली खेती मिर्च की खेती की ओर हुआ है। किसान इससे बेहतर मुनाफा भी कमा रहे हैं। किसानों को मिर्च की खेती करने के तरीकों की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।